मेरे जीने का महत्व लेखन से ही है। इसके बिना मैं खुद को अधूरा महसूस करती हूँ। बेशक मैं हर विधा में लिख सकती हूँ लेकिन कविता मेरे जीवन का मूल मंत्र है। कविता मुझे प्रकृति से जोडती है और उस परमात्मा ने इस प्रकृति में कितनी नेमते बख्शी है, वे सब मेरी कविता का हिस्सा बन जाती है। अगले पड़ाव तक, धुप उदास है और दहलीज़ मेरी काव्य पुस्तके हैं जो मैंने पाठकों को दी हैं। इसके अतिरिक्त मेरी अन्य नौ पुस्तके हैं जिनमें एक उपन्यास 'बंद दरवाज़े' और शेष अलग अलग विधा में हैं।
मैं चाहूंगी की मेरे पाठक और मेरे लेखक मित्र मेरे ब्लॉग पर आकर मुझसे बातचीत करें और अपने विचारों का आदान प्रदान करें। आपका स्वागत है!
गीता डोगरा
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