Saturday, December 25, 2010

लड़कियां 

बाबा को पसंद नहीं
लड़कियों का
आँगन से बाहर झांकना

उन्हें कतई पसंद नहीं
कि लड़कियां झुण्ड बना
गाँव कि किसी गली में
खड़ी हो
 माओं पर हो रहे अत्याचारों की
कथा बुनें
और मर्दों कि नामर्दगी पर
अपनी राय रखें

बाबा कि राय में
लड़कियों का जन्म ही इसीलिए
होता है
कि वे
औलादें जनती रहें
और बीनती रहें जिस्म कि चोटें
धीरज की धरती कि माफिक
सहती रहें - गलत भी ठीक तरह

उन्हें कतई कतई पसंद नहीं
लड़कियों का खिलखिला कर हँसना
और अगर
उन्हें यह महसूस हो कि
लड़कियां बढ़ रही है
अपनी औकात से आगे
तो वे रचना शुरू कर देते हैं
लड़कियों को कुचलने कि साजिश....

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