झील में नहाने दो
चलो एकाध गीत गाने दो
मौसम बदलेगा जब देखा जाएगा
तब तक तो
सपनों की झील में नहाने दो
लिखने दो ख़त प्रेमी को
जो रिझाता है
ऊँगली पकड़ ले जाता है
चाँद तारों से दूर
ख्वाब टूटेंगे जब
तब देखा जाएगा
तब तक तो मन में फूल खिलाने दो
मुस्कराने दो मुझे
भीग जाने दो
मैं मैं रहूँ या नदी हो जाऊं
लहर कभी रुकेगी तो देखा जाएगा
तब तो बह जाने दो निर्विघ्न
झील में नहाने दो
ख्वाब टूटेंगे जब
ReplyDeleteतब देखा जाएगा
तब तक तो मन में फूल खिलाने दो
आज के इस आज को जी लेने की ख्वाहिश
और मन की उमंगों के संवेग के बहते रहने की उम्मीद लिए
बहुत ही कामयाब और शानदार रचना ...
अभिवादन .